
देहरादून: उत्तराखंड की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में राज्य सरकार पुरजोर कोशिश में जुटी है. आज पहाड़ की महिलाएं महज मवेशियों के लिए घास लाने या लकड़ी जुटाने के बोझ तक ही नहीं सिमटी हैं, बल्कि अब वक्त बदल रहा है और महिलाएं भी उद्यमी बनने की ओर अग्रसर होती नजर आ रही हैं. इसी का एक जीता जागता उदाहरण बन रहा है ‘बासा होम स्टे’. पौड़ी जिले के खिर्सू में बना बासा होम स्टे आज गांव की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक बड़ा जरिया बन रहा है.
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त्रिवेंद्र सरकार कर रही विकास के लिए पूरा प्रयास
पहाड़ की महिलाओं का जीवन भी पहाड़ जैसी मुश्किलों से भरा होता है. महिलाओं को हमेशा ही घर के चूल्हे चौके से जोड़कर देखा जाता रहा है. लेकिन अब समय बदल गया है. अब पहाड़ की महिलाएं आर्थिक रूप से स्वाबलंबी होने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. पर्यटन नगरी पौड़ी जिले की खूबसूरत और हसीन वादियों में बसा एक छोटा सा कस्बा है- ‘खिर्सू’. बांज , बुरांश के घने जंगलों से घिरा ये कस्बा वैसे तो अपनी खूबसूरती के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है, लेकिन अब राज्य सरकार इसे और विकसित करने की कवायद में जुटी है. सरकार द्वारा यहां पर पारंपरिक वास्तुकला पर आधारित एक होम स्टे तैयार किया गया है.
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ये है बासा होमस्टे की खासियत
इस होमस्टे को महिलाओं का एक समूह चलाता है. यह सीधे तौर पर उनकी आर्थिकी से जुड़ा हुआ है. यहां पर पर्यटकों को घर जैसा माहौल मिलता है और उन्हें खाने में स्थानीय व्यंजन भी परोसे जाते हैं. होम स्टे पूरी तरह से पहाड़ी शैली को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. उसके अंदर कमरों की बनावट और सजावट भी पहाड़ के ही मकानों की तरह रखी गई है, ताकि यहां आने वाले लोगों को एक अच्छा अनुभव हो.
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सीएम त्रिवेंद्र रावत की पहल से महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार इन कोशिशों में जुटे हुए हैं कि पहाड़ की महिलाओं के सिर से किस तरह घास के बोझ को उतारा जाए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए. इसके लिए वैसे तो कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन होम स्टे योजना भी इस दिशा में कारगर साबित होती नजर आ रही है. आज आत्मनिर्भर होती ये महिलाएं इस बात से बेहद खुश हैं कि वह महज चूल्हे चौके तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं और अपना परिवार चला रही हैं.
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